आँसू

नहीं मचाती शोर कभी ये, चुपके ही रह जाती। अश्रु भरी अँखियों की पीड़ा, व्यथा कथा कह जाती।। लिए गठरिया कर्तव्यों की, प्रतिपल चलती नारी। माँ बेटी भार्या बनकर नित, अपना जीवन हारी। अंतर्मन में चीख दबाकर, दुख सारे सह जाती। अश्रु भरी अँखियों की पीड़ा, व्यथा कथा कह जाती।।1।। नहीं भावना समझे कोई, स्वार्थ […]

Continue Reading

करो कर्म ऐसा मिले लक्ष्य प्यारे

हमें काम कोई दिखाना पड़ेगा। सही धर्म को ही निभाना पड़ेगा।। नहीं कल्पना से सधे काम कोई। अकर्मण्य का है कहाँ नाम कोई। करो कर्म ऐसा मिले लक्ष्य प्यारे। न बैठो धरे हाथ में हाथ सारे। हमें पाँव ऐसा उठाना पड़ेगा। सही धर्म को ही निभाना पड़ेगा।। लिए ज्योत्सना चाँद सा रूप पाना। घनी रात […]

Continue Reading