मौन हूँ, अनभिज्ञ नहीं

‘मौन हूँ, अनभिज्ञ नहीं’, ये करुण कथायें रहने दो मैं स्वयंसिद्ध जीवट नारी, निर्बाध गति से बहने दो। मैं सृजनशक्ति, नित कर्मशील अन्वेषा हूँ, मैं बुद्धिमती अभिमान रहित, मैं स्नेहसिक्त दुर्गा भी मैं, मैं पार्वती अन्तस में मेरे प्रश्न कई, अब प्रश्न मुझे भी करने दो मैं स्वयंसिद्ध जीवट नारी, निर्बाध गति से बहने दो […]

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पागल है रे तू

सबके लिए था उसके मन में प्यार, आदर, समर्पित भाव। लेकिन शायद खुद के लिए ये सब कमाना नहीं आया उसे। और जब-जब इस बात का अहसास होता, थोड़ी देर के लिए उदास हो जाती, फिर सोचती किसी ने कहा थोड़े ही था, ये सब तो उसके मन के ही भाव थे, फिर शिकायत कैसी […]

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