वर्षा रावल की रचना- मिठास मत घोलना

नर्म-नर्म गोले सी पहली बार आँखें खोलीं दुनिया में आगमन अभी ही हुआ था… तुम्हारी नई-नई माँ पीड़ा में भी मुस्कुरा रही थी मिठास से लबरेज़ जो थी… तुमने जैसे ही रोने को मुँह बनाया दो बूँद शहद घुल गया तुम्हारे मुँह में… और इस मिठास को चाटने की कला तुम्हें आ गई… थोड़ी बड़ी […]

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