मैं वृक्ष हूँ

  मैं वृक्ष हूँ अपनी आत्मकथा सुनाता हूँ अपने मन की बात बतलाता हूँ सदियों से खड़ा साक्षी हूँ हर सुख-दुख के लम्हों का द्रष्टव्य मैं ही तो गवाक्षी हूँ सभ्यता की उत्पत्ति देखी विनाश को भी देख रहा हूँ मौन साधना की परिणिति अविचल ख़ुद को रख रहा हूँ जितना ऊपर बढ़ जाता हूँ […]

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