ज्योति नारायण की रचना- बेटियाँ

बेटियाँ दिल के करीब रहती हैं। सुख दु:ख में शरीक रहती हैं। माँ की मूरत में ये ही ढलती हैं। ममता की सूरतों में पलती हैं। प्रसव की पीड़ा जो माँ ने सही वही यह धरती लिये चलती हैं। बीज को कोख में लहू देतीं फिर लगा छातियों से रहती हैं। कभी किसी से न […]

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