सूख जाएगी कविता की नदी

युगों बीत गए छलछलाती नदी को देखे बहुत पानी हुआ करता था उसके दिल मे …. अपना प्रेम दे देने को आतुर.. ममता सम्वेदना से लबरेज पूरी तरह स्वाभाविक वास्तविक….. फिर दौर आया रेत के सैलाब का नदी न रहने दी नदी , सुखा दिया छलछल पानी को वैसे ही मरने लगी नदी जैसे भरी […]

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